1 जुलाई 2017

'आगरा का इंटरनेशनल एयरपोर्ट : खुला खेल फर्रखाबादी'

शरीर से अक्षम  नैन्सी आईं  जेट से आगरा में 
( राजीव सक्सेना )
आगरा। शरीर से अक्षम  नैन्सी की आगरा जाकर ताज देखने की लालसा इतनी थी कि वह अपनी चाहत को पूरी करने के लिए उन्होंने जेट द्वारा आगरा पहुंचने के लिए विशेष व्यवस्था की,जोकि उनके लिए आसान नहीं था।  वह  दुनिया के आठवे वंडर होने  वाले ताज की  सुंदरता का अनुभव करना चाहती थीं । उन्होंने उस समय कहा था जो कुछ भी हो, इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता कि सौदर्यता  के मामले में ताज उच्च स्थान पर है। उन्होंने आगरा में एक इंटरनेशनल  एयरपोर्ट की कमी को उस समय भी  दोहराया था। उन्होंने कहा था सौदर्यता  के मामले में ताज विश्व में उच्च स्थान रखते हुए भी यहाँ इंटरनेशनल  एयरपोर्ट नहीं बना पाया है। इस पर उन्हें दुख था। 
यदि आगरा एयरपोर्ट के पुराने एतिहास पर नजर डालें,आगरा की एयर कनैक्‍टिविटी किंग जर्ज पंचम के समय से स्‍वीकारी गयी थी ,टाटा ने ही अपनी एयरमेल सेवा के लिये आगरा का हवाई अडडा बनवाया था। एयरफर्स स्‍टेशन आगरा पर टाटा गेट के नाम से शुरूआती दरवाजा अब भी मौजूद है। सैकिंड वर्ल्‍डवार शुरू हो जाने के बाद आगरा में टाटा की एयरस्‍ट्रिप मित्रदेशों की सेनाओं के नार्थईस्‍ट आप्रेशन के लिये ले ली गयी।
अमेरिकन फोर्सो के एयरआप्रेशन पैर्टन पर यहां सी बी आई ( चाइना बर्मा इंडिया) डिपो बनायी गयी। आजादी के बाद आगरा एरपोर्ट का देश के किसी भी एयरपोट्र से पहले उच्‍चीकरण किया गया। उसी समय सिविल और नान मिलिट्री मेल फ्लाइटों के लिये अलग से छोटी हवाई पट्टी और यात्री शैल्‍टर बनाये गये। उस समय तक प्राईवेट एयरलाइंसें ही आगरा आती थीं। एयरलांसों के राष्‍ट्रीयकरण के बाद जब इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया बनी उसी समय आगरा में सिविल एयर एन्‍कलेव बना। स्‍व राजीव गांधी इस सिविल एन्‍कलेव के बारे में विस्‍तार से जानकारियां रखते थ। आगरा-काठमांडू की इडियन एयरलाइंस की फ्लाइट लेकर इस रूट से वर्षों तक गुजरते रहे। बाद में उन्‍हीं के पी एम रहेने के काल में इस सिविल एन्‍कलेव का उच्‍चीकरण प्रस्‍ताव स्‍वीकार हुआ ओर कस्‍टम व इमीग्रेशन चैकअप की व्‍यवस्‍था करवाये जाने की योजना बनी।बाद में सरकार गिर गयी किन्‍तु योजना पर काम जारी रहा। श्जब श्री अंनंत कुमार जी एवीएशन मिनिस्‍टर बने उस समय उन्‍हें इस प्रोजेक्‍ट के पूरा होने पर उद्घाटन करवाने का अवसर प्राप्‍त हुआ। श्री लाकृष्‍ण आडवाणी जी को उदघाटन कार्यक्रम के लिये ससम्‍मान बुलाया गया था। तब तक सिविल एन्‍कलेव तक पहुंच में कोई दिककत नहीं थी। प्रैस वाले तो वी वी आई पी के दौरों के समय टैक्‍नीकल एरिया तक पहुंच जाते थे, बस पास बनवाने पडते थे। जब आतंकवाद का दौर शुरू हुआ साथ ही भारी सरकारी उद्योग बन्‍द होने लगे तो फालतू हुई इंडस्‍ट्रियल सीक्‍यूरिटी फोर्स को अऔद्योगिक नागरिक ठिकानों पर भी तैनात कियाजाने लगा । ताज महल और आगरा सिविल एन्‍कलेव पर इस फोर्स की तेनाती हुई1 बस इसी तैनाती के बाद आगरा के पर्यटन कारोबार की समस्‍यायें जो एक बार बढना शुरू हुई तो अब तक बढती ही जा रही हैं। सिविल एन्‍कलेव तक पहुंच तो एक दम मुश्‍किल सी हो गयी। पहले सैना पुलिस की चैक ,फिर सिविल पुलिस की और सबसे अंत में इडस्‍टियल सीक्‍यूरिटी फोर्स की चैक ।केल मिलाकर ऐसाताम तामझाम जिससे गुजर कर शायद ही किसी को खीज होने से रह जाये। सिविल एन्‍कलेव के लिये नये स्‍थान को ढूढने का काम सुश्री मायाबती जी के कार्यकाल में हुआ था। 2011-12 में राूइट्स और एयरपोर्ट अथार्टी आफ इंउिया की कई टीमें आगरा आयी थीं और एस्‍टीमेंट बनागयी थीं। इसके बाद समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के दिग्‍गजो ने इस एन्‍कलेव को बनने में जितने रोड अटका सकते थे अटकाये। वे वजह के सर्वे करवा के करोडों खच किये। यही ढर्रा वर्तमान भाजपा सरकार का रहा। पी एम पद के दावेदार के रूप में मौजूदा पी एम श्री नेरेन्‍द्र मोदी इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनवाने का दावा पब्‍लक मीटिंग में कर गये। मौजूदा योगी सरकार भी एयरपोर्ट के मामले से अपने को ऊपर मान रही है। अब मायबती जी के कार्यकाल के दौरान बने प्रोजेक्‍ट के लिये ही जमीन उपलब्‍ध करवाने को अवशेष 64 करोड उपलब्‍ध करवाये हैं। दरअसल नोयडा और ग्रेटर नोयडा में इन्‍वेस्‍ट करने वाले और उनके पॉलीटिकल एजैंट नहींं चाहते कि आगरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बने । आगरा के हक को लेकर सबकुछ साफ है ।पॉलिटकल एजैंटों में से कुछ तो खुद ही कर्पोरेट सैक्‍टर की कारगुजारियों में संलिप्‍त हैं। अगर जांचे हो तो श्री राबर्ट बढेरा से भी बडे खेती की जमीन को आवासीय व कमर्शियल करवाने वाले लैंड यूज घोटालां में संलिप्‍त हैं। 'खुला खेल फर्रखाबादी' तो यही है बाकी सबको आजादी है घटनाओं और सत्‍ता के दुरोपयोग को अपनी अपनी प्रतिबद्धताओं के आईने मे देखने की।