--सूफी संतों के चौखटों से मिलती है नई ऊर्जा :ऋषिता
ऋषिता भट्ट --फोटो :असलम सलीमी |
आगरा: लंदन में पढी और गलैमर भरे वालीवुड में खास पहचान रखने वाली ऋषिता भट्ट को अगर रूहानी सुकून कहीं मिलता है तो वह स्थाीन है, आगरा क्लब परिसर में स्थिात हजरत ख्वा जा शेख सैय्यद फतिहउद्दीन बल्खीै अलमारूफ ताराशाह चिश्तीआ साबरी का दरगाह। वह पीर के 418वें उर्स के मोके पर माथा टेकने आयी हुई थीं। दो दिन वह रहीं और बारगगाह में लगातार इबादत करती रहीं। बातचीत के दौरान उन्हों ने कहा कि यहां आकर उन्हेंत हमेशा नई ऊर्जा मिली है और नई आशाओं को लेकर वह यहां से गयी हैं।
एक जानकारी
में कहा कि निश्चि त रूप से वालीवुड में भी हालात बदले हैं किन्तुं ऐसा कुछ नहीं है जिसे लेकर
चितित हुआ जाये। नोटबंदी का फिल्मं प्रोडैक्शकन पर खास अंतर नहीं पडा।दर्शकों के बीच वालीवुड की पैंठ ही शायद इसका नतीजा है। यू पी में फिल्मो प्रोडैक्शभन के अनुकूल स्थिपतियां हैं। यहां फिल्म बनाने वालों को सब्सिेडी मलने से बडे प्रोडैक्शशन हाऊस भी यहां की ओर रूखा करने को उत्सुुक हो रहे हैं। 'अब तक छप्पन', 'जिज्ञासा', 'दिल विल प्यार व्यार', 'शरारत', 'किशना', 'आंखे', 'पेज-3', 'हे बेबी', 'देशद्रोही', 'हीरोज', 'खफा' सहित अन्य तमाम फिल्मों, में अपने किरदार का लोहामनवाने के बाद ऋषिता कई उन प्रोडैक्शहनों में भी आयी है जिनकी लॉचिग ‘ग्लोबाल’ होनी है।उन्हेंे इंटरनेशनल मार्किट में बालीवुड के अन्यम स्टा रों के समान ही अपने लिये काफी संभावनाये नजर आती हैं।
में कहा कि निश्चि त रूप से वालीवुड में भी हालात बदले हैं किन्तुं ऐसा कुछ नहीं है जिसे लेकर
चितित हुआ जाये। नोटबंदी का फिल्मं प्रोडैक्शकन पर खास अंतर नहीं पडा।दर्शकों के बीच वालीवुड की पैंठ ही शायद इसका नतीजा है। यू पी में फिल्मो प्रोडैक्शभन के अनुकूल स्थिपतियां हैं। यहां फिल्म बनाने वालों को सब्सिेडी मलने से बडे प्रोडैक्शशन हाऊस भी यहां की ओर रूखा करने को उत्सुुक हो रहे हैं। 'अब तक छप्पन', 'जिज्ञासा', 'दिल विल प्यार व्यार', 'शरारत', 'किशना', 'आंखे', 'पेज-3', 'हे बेबी', 'देशद्रोही', 'हीरोज', 'खफा' सहित अन्य तमाम फिल्मों, में अपने किरदार का लोहामनवाने के बाद ऋषिता कई उन प्रोडैक्शहनों में भी आयी है जिनकी लॉचिग ‘ग्लोबाल’ होनी है।उन्हेंे इंटरनेशनल मार्किट में बालीवुड के अन्यम स्टा रों के समान ही अपने लिये काफी संभावनाये नजर आती हैं।