--ईवोम मशीने सुरक्षित बताने वाले पैट्रोल पंपों की चिपों पर खडे कर रहे हैं सवाल
केन्द्र की दोहरी चिप पौलिसी 'ईवोम में सही पैट्रोल पांपों पर संदिग्ध' फोटो:असलम सलीमी |
आगरा: पैट्रोल पंपों पर माप- तौल में छेडछाड की संभावनाओं को लेकर राज्यट सरकार के द्वारा शुरू करवायी जा रही छापामारी की कार्रवाही के दूरगामी परिणाम जो भी रहे किन्तु वाहन स्वा मी और पैट्रोल पंपिग स्टेरशन संचालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। शासनादेश जारी कियागया कि घटतौली और उनमे लगी चिप पर की गयी एक्सयट्रा फिटिग पकडी जायें।जिसके लिये शासन ने एस टी एफ को अधिकृत कर दिया।
इस मिले अधिकार का
दुरोपयोग कर एस टी एफ स्टाफ पैट्रोल
जब ज्यादा बात की
गयी तो आक्रमक बने रहकर मनमर्जी को सही ठहराने के लिये पंप की मशीन (पलसर) या
उसके मदरबोर्ड पर टैंपरिग या सैटिंग की बात कह कर डर व दहशत फैला रहे हैं। पंप
संचालकों ही नहीं उपभौक्ता मामलों के जानकारो का मानना हे कि बिना किसी सुबूत
के केवल शक के आधार पर र्कारवाही करना कानून व्यवस्था के तहत मिले अधिकारों का
दुरोपयोग है। पैट्रोल पंप संचालकों और उनके ग्राहकों के बीच संशय उत्पन्न करने
वाला है। एक अन्य बात यह है कि चिप फिटिग का कार्य सरकार या इंडियन आयल ,
भारत पैट्रोलियम आदि कंपनिया नहीं करती हैं।पैट्रोल मशीन संबधी ज्यादातर काम
आऊट सोर्सिग ही करवाया जाता है। नहीं कोयी लैब एसी है जो कि सील या चिप मे एक्सट्रा
फिटंग या टैंपरिग की जांच को अधिकृत होने के साथ सोशल आडीटर्स की निगरानी के
दायरे में भी आती हो।
वैसे अपने आप मे यह
भी महत्वपूर्ण है कि फरवरी 2016 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की एक सुनवायी में
भारत सरकार ने माना था कि उसके पास पैट्रोल पंपों की जांच के पर्याप्त इंतजाम
नहीं हैं। यही नहीं इस समय जहां केन्द्र सरकार और भारत निर्वाचन आयोग एक ओर कह
रहे है कि इलैक्ट्रानिक मैकेनिज्म में इस्तेमाल होने वाली चिपों में टैंपरिग
संभव ही नहीं है, वहीं दूसरी ओर पैट्रोल पंप संचालकों की मशीनों की चिप में टैपरिग
ही नजर आ रही है।