27 मार्च 2017

मोदी की घोषणा उनकी ही सरकार ने नकार दी

--मनमोहन सिह की ‘खिल्ली’ उडाने वाले भाजपाई अब नहीं तोड रहे खामोशी 


           आगरा:किसी समय कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार के द्वारा लाया गया बिल लोकसभा में बकवास बताकर फाड दिया था। इस घटना को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री  मनमोहन सिंह की भाजपाईयों ने जम कर खिचाई कर असरहीन प्रधानमंत्री ठहराने का प्रयास किया था ।किन्तु अब श्री सिंह से भी ज्या दा खिचाई प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी की होनी चाहिये । भाजपाईयों के लिये यह सुखद ही है कि ‘पप्पू ही नहीं , उनकी पार्टी के अन्यों की सोच भी 'पप्पूनुमा' ही है।इस लिये यह प्रकरण जनता के सामने ठीक से आ हीनहीं सका।   इस बार मामला किसी बिल को फाडने का नहीं प्रधानमंत्री के द्वारा की गयी घोषणा को उन्हीं की सरकार के द्वारा नकार देने का है।

श्री मोदी ने नोट बंदी की घोषणा के समय ही यह भी कहा था कि पुराने नोट बदलने का अंतिम अवसर 31 मार्च 2017 तक रहेगा।रिजर्ब बैंक में इसके लिये काऊंटर की व्यवस्था भी करवाये जाने की बात भी कही गयी थी किन्तु जब ऐसा संभव नहीं हो सका तब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा । अब इस मामले में भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि केवल उन्हीं  को अपने नोट रिजर्ब बैंक से बदलने का अवसर दिया गया है जो कि नोट बदी के दौर में भारत से बाहर थे।सरकारी पक्षाकार प्रधानमंत्री की घोषणा को लेकर एक दम खामोशी लगा गये है।यह स्थिति तब है जब कि कोर्ट तक ने पूछा है कि आखिर प्रधानमंत्री की घोषणा का पालन क्यों नहीं हो रहा है।

आजाद भारत में बहुमत की सरकार के प्रधानमंत्री की घोषणा को उन्‍हीं की पूर्ण बहुमत की सरकार के द्वारा इस प्रकार अनदेखा करने की अपने आप में यह अभूतपूर्व मिसाल है।
पी एम और उनकी सरकार में आंतरिक रूप से क्‍या  चल रहा है, यह अलग बात है किन्तु घोषणा को नकार दिये जाने से देश के वे लाखों लोग जरूर सीधे तौर पर प्रभावित हुए है जो कि किसी प्रकार अपने पुराने नोट ‘नोटबन्दी ’ के दौर में किसी कारण से बदल नहीं सके थे और प्रधानमंत्री नरेन्द्रू मोदी के द्वारा की गयी नोटबन्दी  वाले नोट 31 मार्च तक बदलने की व्यवस्था  संबधी घोषणा पर एतबार किये हुए बैठे थे।