चुनाव आयोग द्वारा अखिलेश की सपा को असली सपा घोषित करने का कारण उनके पक्ष में सारे दस्तावेज देना था। मुलायम सिंह ने आखिरी तक अपने पक्ष में पूरे दस्तावेज़ नहीं प्रस्तुत किये। यदि मुलायम का पक्ष मज़बूत होता तो साइकिल चुनाव चिन्ह फ्रीज किया जा सकता था। चुनाव आयोग के 42 पेज के आदेश से यह बात साफ होती है कि मुलायम की दावेदारी में ज्यादा ताकत नहीं थी। अखिलेश द्वारा सर्मथकों के शपथपत्रों से उनका दावा काफी मजबूत हुआ जबकि मुलायम सिंह यादव के गुट की ओर से सिर्फ यही कहा जाता रहा कि सपा पर अब भी नेताजी की पकड़ है और वे ही पार्टी के सर्वे सर्वा हैं।चुनाव आयोग अनुसार अखिलेश यादव की ओर से जमा किये गये शपथपत्रों की सत्यता पर मुलायम सिंह ने सवाल तो उठाये लेकिन इस आपत्ति को लेकर चुनाव आयोग कभी संतुष्ट नहीं किया। बताया जाता है उत्तर प्रदेश का मुस्लिम वोट को मुलायम सिंह से हटाना अखिलेश के लिए आसान काम नहीं है।