11 नवंबर 2016

कठनाई भरे दौर के बाद शुरू होगा निवेशों का सिलसिला

इन्वैस्टोरों को सही दिशा सुझाना फाइनैस एडवाइजरों के लिये बडी चुनौती
अब निवेश को प्रेरित करना चुनौती:सचदेवा 
 आगरा: केन्द्र सरकार द्वारा एक हजार और पांच सौ रूपये के नोट प्रचलन से बाहर कर दिये जाने से बना हुआ असमंजस का माहौल अब थमने की ओर है और अधिकतम एक सप्ताह का संक्रमण काल ​​और बना रहने के बाद सब कुछ सामान्य हो जायेगा। किन्तु इसके बाद एक ऐसा दौर शुरू होगा जिसमें निवेशकों, उद्यमियों को भरपूर अवसर होंगे साथ ही देश के आम उपभोक्तााओं के लिये भी तमाम राहतेंं होंगी। यह कहना है, आयकर विभाग के पूर्व अधिकारी एवं वित्तीय विश्लेषक श्री आर के सचदेवा
का।
श्री सचदेवा ने बताया कि अब तक ' करैंसियों ' मे दखल का मकसद कालेधन की घेराबन्दी करके टैक्स अपवंचकों से कर वसूलने तक सीमित रहता आया था जबकि ताजा कदम का ध्येय आम भारतीय को बचत, बैंक और संभावित निवेश अवसरों के प्रति जागरूक करना भी है। बैंकों के दरवाजे पर आम नागरिक को पहुंचाने वाली ' जनधन जमा योजना ' का इसे अगला चरण माना जा सकता है।मोदी सरकार की इन दोनों योजनाओं में ही लोग कर्ज लेने नहीं अपना धन अपने खातों में जमा करवाने पहुंचे हैं.जो कि सरकार की अपेक्षा उन लोगों के लिये ज्यादा लाभकारी है जो कि अपनेे धन के रूप में छोटी से छोटी राशि जमा करने पर अब ब्याज भी पा सकेंगे साथ ही अविवेकपूर्ण खर्च करने की आदत में भी इससे एक सीमा तक कमी आयेगी।
श्री सचदेवा ने कहा कि शुरू हुआ यह दौर वित्तीेय प्रबंधन में दखल रखने वालों के लिये सबसे बडी चुनौती है, उनसे ऐसे परामर्षों को छोटे- बडे प्रभावितों तक पहुंचाने की अपेक्षा है जिन पर अमल कर  वे कानूनी दायरे में रहने के बावजूद राहत एवं मुनाफा कमा सके.हकीकत में विधि सम्मात निवेशों के लिये  विकल्प सुझाने के लिये तो यह अपने आप में सबसे उपयुक्त दौर है।
श्री सचदेवा ने कहा कि बडे पैमाने पर छुपा धन बाहर आने से सुरक्षित निवेश संभावनाओं के अवसरों को बढाना सामायिक रूप से जरूरी है, इसके लिये केन्द्रिय सरकार से कहीं ज्यादा सक्रियता राज्य सरकारों अदा कर सकती है। लखनऊ 'आगरा एक्स्प्रेस वे जैसी ढाचागत सुधार संबधी, योजनाओं के लिये पहले से ही बनी हुई स्पेशल परपज व्हैकिल (एस पी बी) कंपनियों को शेयर या उदार शर्तों वाले बांड फ्लोट कर भरपूर धन जुटाया जा सकता है। सही प्रकार से लिया जाये तो राज्य सरकार के लिये अपनी वाणिज्यिक और औद्यौगिक प्रोजेक्टों की वित्तीेय जरूरतों के लिये धन जुटाने का बैहतरीन अवसर है.जबकि व्यापक सोच के अभाव में कई राजनीतिज्ञ केन्द्र् सरकार के कदम की आलोचना करने के राजनैतिक धर्म तक ही अपने को  सीमित किये हुए हैं (उल्लेखनीय है कि यमुना एक्सैप्रेस वे के बाद उ प्र सरकार अपने उन तमाम पी पी पी प्रोजैक्टो तक के लिये निवेशको को आकर्षित करने में असमर्थ रही जिन्हें भारी मुनाफे का बताने के प्रचार के साथ शुरू किया गया था )
श्री सचदेवा ने कहा सरकार के इस कदम का सबसे बडा असर विदेश में कालाधन जमा रखने की आदत वालों पर पडेगा, हवाला सरीखे प्रचलित हथकंडे तो फिलहाल कुछ समय के लिये पूरी तरह बेअसर से ही हो जायेंगे।