5 सितंबर 2016

ताजमहल सहित संरक्षित इमारतों में गाइडों के प्रवेश प्रकरण पर सुनवाई 9 सितम्बर को


आगरा: सुप्रीम कोर्ट ने अर्केलाजीकल सर्वे आफ इंडिया (ए एस आई) से टूरिस्ट गाइडों के लिये एक नीति बनाने को कहा हुआ है, जिसके तहत संरक्षित स्मारकों में गाइडों का प्रवेश व्यवस्थित  हो सके .9  सितंबर तक कोर्ट में इसे पेश करने को कहा गया था.पर्यटन विभाग ( केंद्र सरकार ), उ प्र टूरिज्मि डिपार्टमेंट, पुरातत्व विभाग आगरा मे विदेशी ओर स्थानीय पर्यटकों के आगरा में भ्रमण प्रबंधन में भागीदार हैं। उप्र एप्रूव्ड गाईड एसोसियेशन की ओर से ए एस आई  द्वारा गाइडों के संरक्षित स्मारकों में प्रवेश की नीति
न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत न करने को गंभीरता से लेकर पक्षाकार के रूप मे अवमानना ​​याचिका प्रस्तुत की हुई है। एसोसियेशन के  अध्यक्ष दीपक दान का कहना है कि ए एस आई के उदासीन रुख को कोर्ट ने अत्यंत गंभीरता से लिया है. वैसे उनकी ओर से भी समयावधि बीत जाने के बाद मुद्दे को प्रासंगिक व सामायिक बनाये रखने को एक और अवमानना ​​याचिका ऐसोसियेशन की ओर से भी खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुात की गयी है.
उल्लेीखनीय है कि ए एस आई ने यू पी टूरिज्म के एप्रूव्डत गाइडों को अपने संरक्षित स्मारकों में जनवरी 2014 से काम करने से रोक दिया था.किन्तुि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2015 के अपने एक आदेश मे टूरिस्टस गाइडों को प्रवेश करने की अनुमति बहाल कर एस एस आई समन्विगत नीति प्रस्तुत करने को कहा था। इस अनुमति के बाद यू पी टूरिज्मर डिपार्टमेंट ने अपने गाइडों के लाईसेंस 14 जनवरी 2016 तक के लिये  अनुमति बढा दी थी।
मामले की सुनवायी कर रही न्यालयमूर्ति कैफी उल्लाह और न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की बैंच का मूलवाद में आदेश हे कि ए एस आई दो सप्तांह के भीतर संरक्षित स्मारकों मे गाईडों के प्रवेश को नीति प्रस्तुित करे तथा 6 सप्ता्ह के भीतर इसका क्रियान्वन करवाया जाये।
 न्यायलय की सुनवाई कर रही खंडपीठ ने अपने आदेश में ए एस आई को यह भी कहा है कि जब तक न्यायलय में नीति प्रस्तु्त नहीं की जाये तब तक वर्तमान जो गाइड 203 की गाइडिंग लाईसेस के लिये नीति के तहत लाईसेंसी है उन्हें काम करते रहने दिया जाये ।
हो सकताहै कि ए एस आई के द्वारा गाइडों के अपने संरक्षित स्माकरकों में प्रवेश के लिये न्यायलय में कोई नीति प्रस्तुत कर कानूनी औपचारिकता पूरी कर दी जाये किन्तु वास्तविक स्थिति  यह है कि नीतियों के निर्धारण की जो प्रक्रिया है उसे अभी शुरू भी नहीं किया गया है । यह सही है कि  आगरा स्थित विश्वेदाय स्माकरको में गाइड के रूप में  प्रवेश की  अनुमति का  अगर ए एस आई कोई नीति निर्धारित करती है तो उसका असर देश भी में फैले  संरक्षित स्मारकों मे गाइडों के प्रवेश भी होगा। इस लिये हालांकि जन,सुनवायी जरूरी हे किन्तु कम से कम विशेषज्ञ राय, प्रभावित पक्षों को सुनना आदि भी जरूरी है।