ताजमहल को रिपेयर करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा करीब दो सौ मज़दूर दैनिक भत्ते पर रखे गए थे। किन्तु दुर्भाग्य की बात ये है कि दिसंबर 2015 के बाद इन मज़दूरों को वेतन नहीं मिला हैं। जिससे ताजमहल के कई संरक्षण कार्य रुक गए हैं। एएसआई आगरा का कहना है कि कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत 20 करोड़ रुपये का फंड ओएनजीसी ने स्वीकृत किया था। वह अभी नहीं मिला है। इसी कारण मज़दूरों को वेतन नहीं दे सके और ताज के संरक्षण कार्य को रोकना पड़ा है। उधर गरीब मज़दूरों को बिना वेतन के जीना मुश्किल हो रहा है।