--रिजर्ब बैंक
के हस्ताक्षेप का भी सीमित असर
(तेजी से लुढकता रुपया) |
नई दिल्ली: रुपये
में गिरावट का दौर जारी है ओर शुक्रवारको वह पिछले दो साल में डालर के सापेक्ष सबसे
कम मूल्य पर पहुंच गया। डॉलर में आई मजबूती के कारण देश की मुद्रा रुपया शुक्रवार को शुरुआती कारोबार
में तेज गिरावट के साथ दो साल से अधिक समय के निचले स्तर पर पहुंच गया, लेकिन बाद में भारतीय रिजर्व बैंक के
हस्तक्षेप के बाद थोड़ा संभल गया.किन्तु इसकाखास प्रभावी असर नहीं हो सका
हस्तक्षेप के बाद थोड़ा संभल गया.किन्तु इसकाखास प्रभावी असर नहीं हो सका
रुपया हालांकि
शुक्रवार को 19 पैसे की गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले 66.76 पर बंद हुआ. गुरुवार को यह 66.57 पर बंद हुआ था.
आरबीआई के
हस्तक्षेप के अलावा बंबई स्टॉक एक्सचेंज के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में दर्ज की गई तेजी ने भी रुपये के
संभलने में भूमिका निभाई. सेंसेक्स शुक्रवार को 170 अंकों की तेजी के साथ बंद हुआ.
इसी तरह नेशनल
स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक भी 58.90 अंकों की तेजी के साथ बंद हुआ.
आनंद राठी
फाइनेंशियल सर्विसिस के मुद्रा सलाह विभाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हीरेन शर्मा ने
आईएएनएस से कहा कि दो दिनों की छुट्टी के बाद डॉलर में बढ़ी रुचि की वजह से रुपये
पर दबाव बना.
देश का हाजिर
बाजार 25 नवंबर को बंद था. उसके बाद 26 नवंबर को अमेरिका का बाजार बंद था.
शर्मा ने
आईएएनएस से कहा,
"शेयर बाजार
में तेजी और संभावित बिकवाली के कारण रुपया संभल गया."
इसके अलावा आम
तौर पर महीने के अंत में डॉलर की मांग में होने वाली वृद्धि का भी रुपये पर असर
पड़ा.