8 नवंबर 2015

दालों का आयात शीघ्र, फाइलों के नि‍स्तारण मे तेजी

--आयात की खबर से जमखोरी करने वालों की नींद खराब

लखनऊ: मांगपूरी करने और बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए चालू कृषि‍ वर्ष में एक करोड़ टन दालों का आयात करने की योजना पर काम चालू हो गया है। बि‍हार चुनाव में करारी हार के बाद दाल आयात योजना की फइलों की ढूढा ढकारी और तेज हो गयी है। भाजपा के सांसद एवं फि‍ल्‍म अभि‍नेता शत्रुघ्‍न सि‍न्‍हा ने दालो की कीमत के बढने को बि‍हार की हार के कारणों में मुख्‍य करार दि‍या है।
वैसे दाल के आयात की जानकारि‍यो से जनता को कोयी सीधी राहत तत्‍काल मि‍ल सके या नही कि‍न्‍तु जमाखोरी का कारोबार
करने वालो की नींद इस समय उड गयी है।

उधर उद्योग चैंबर एसोचैम के मुताबिक मानसून की बारिश कम होने से इस वर्ष दालों का उत्पादन 170 लाख टन रहने का अनुमान है। जबकि मांग 271 लाख टन रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष दूसरे देशों में भी उत्पादन की स्थिति अच्छी नहीं है। इससे देश में दालों की मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाना थोड़ा मुश्किल होगा। दालों की मांग पूरी करने में सरकार का आयात बिल बढ़ने की आशंका है। क्षेत्रीय बाजारों में उचित प्रणाली के अभाव में समस्याएं बढ़ सकती हैं। देश में मुख्य रूप से चना और अरहर (तूर) का उत्पादन होता है। कुल उत्पादन में 70 लाख टन के साथ चना दाल का योगदान 41% और 27 लाख टन उत्पादन के साथ अरहर दाल का 16 प्रतिशत है।