-- जे. सुनील
अपने सूखे खेत में कृषि भूमि की निरंतर गिरती उर्वरता को देख किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें बढ़तीं जा रही हैं। मुश्किल हालात में किसानी कर रहे किसान की हालत समझी जा सकती है। लेकिन बदले हुए परिदृश्य में कृषि अधिकारी ऐसे किसानों के खेत की मिट्टी का नमूना लेकर किसानों को बता रहे हैं कि किस तरह से इस जांच के बाद वह खेतों में सही मात्रा में खाद डाल सकेगा, किस तरह भूमि की उर्वरता और पोषण बेहतर होगा और अच्छी पैदावार के साथ उसकी आय भी बढ़ सकेगी जो पर्यावरण के भी अधिक अनुकूल होगी। इसी सोच के चलते प्रधानमंत्री ने इसी साल 19 फरवरी को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में...
राष्ट्रव्यापी ‘राष्ट्रीय मृदा सेहत कार्ड’ यानि सॉयल हेल्थ कार्ड योजना का शुभारंभ किया है। प्रधानमंत्री का कहना है कि 'वंदे मातरम राष्ट्र गान की 'सुजलाम-सुफलाम' भूमि बनाने का सपना पूरा करने के लिए मिट्टी के नियमित परीक्षण और उसके पोषण जरूरी है, सॉयल हेल्थ कार्ड इसी सपने को पूरा करने की दिशा में एक कदम है।' इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश भर के किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिये जाने के लिये राज्यों को सहयोग देना है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार का अगले तीन वर्षों के दौरान देश भर में लगभग 14.5 करोड़ किसानों को राष्ट्रीय मृदा सेहत कार्ड उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। वहीं, इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2014-15 में लगभग 3 करोड़ किसानों को कवर करने का लक्ष्य रखा गया। तीन साल बाद मृदा सेहत कार्ड का नवीकरण भी किया जायेगा, ताकि इस योजना के तहत किसानों को मिलने वाले तरह-तरह के फायदों का सिलसिला आगे भी जारी रह सके। इस योजना की थीम है: स्वस्थ धरा, खेत हरा। जानकारों के अनुसार कुछ राज्यों ने सॉयल हेल्थ कार्ड जारी किए भी है, परंतु इसमें राज्यों के बीच नमूने लेने, जांच करने और सॉयल हेल्थ कार्ड वितरण करने में कोई समान प्रतिमान नहीं थे। यह पहली बार है जब भारत सरकार ने सॉयल प्रबंधन पद्धतियों को बढ़ावा देने और सॉयल स्वास्थ्य को पुन: स्थापित करने के लिए राष्ट्रव्यापी सॉयल हेल्थ कार्ड योजना प्रारंभ की है जो तीन वर्ष की अवधि में एक बार 14करोड़ जोतों को कवर करेगी। इसी सिलसिले में कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने सॉयल हेल्थ कार्ड की जानकारी देने वाले एक पोर्टल सहित कृषि क्षेत्र से संबंधित दो अन्य पोर्टल भी शुरू किये हैं।
अपने सूखे खेत में कृषि भूमि की निरंतर गिरती उर्वरता को देख किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें बढ़तीं जा रही हैं। मुश्किल हालात में किसानी कर रहे किसान की हालत समझी जा सकती है। लेकिन बदले हुए परिदृश्य में कृषि अधिकारी ऐसे किसानों के खेत की मिट्टी का नमूना लेकर किसानों को बता रहे हैं कि किस तरह से इस जांच के बाद वह खेतों में सही मात्रा में खाद डाल सकेगा, किस तरह भूमि की उर्वरता और पोषण बेहतर होगा और अच्छी पैदावार के साथ उसकी आय भी बढ़ सकेगी जो पर्यावरण के भी अधिक अनुकूल होगी। इसी सोच के चलते प्रधानमंत्री ने इसी साल 19 फरवरी को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में...
राष्ट्रव्यापी ‘राष्ट्रीय मृदा सेहत कार्ड’ यानि सॉयल हेल्थ कार्ड योजना का शुभारंभ किया है। प्रधानमंत्री का कहना है कि 'वंदे मातरम राष्ट्र गान की 'सुजलाम-सुफलाम' भूमि बनाने का सपना पूरा करने के लिए मिट्टी के नियमित परीक्षण और उसके पोषण जरूरी है, सॉयल हेल्थ कार्ड इसी सपने को पूरा करने की दिशा में एक कदम है।' इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश भर के किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिये जाने के लिये राज्यों को सहयोग देना है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार का अगले तीन वर्षों के दौरान देश भर में लगभग 14.5 करोड़ किसानों को राष्ट्रीय मृदा सेहत कार्ड उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। वहीं, इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2014-15 में लगभग 3 करोड़ किसानों को कवर करने का लक्ष्य रखा गया। तीन साल बाद मृदा सेहत कार्ड का नवीकरण भी किया जायेगा, ताकि इस योजना के तहत किसानों को मिलने वाले तरह-तरह के फायदों का सिलसिला आगे भी जारी रह सके। इस योजना की थीम है: स्वस्थ धरा, खेत हरा। जानकारों के अनुसार कुछ राज्यों ने सॉयल हेल्थ कार्ड जारी किए भी है, परंतु इसमें राज्यों के बीच नमूने लेने, जांच करने और सॉयल हेल्थ कार्ड वितरण करने में कोई समान प्रतिमान नहीं थे। यह पहली बार है जब भारत सरकार ने सॉयल प्रबंधन पद्धतियों को बढ़ावा देने और सॉयल स्वास्थ्य को पुन: स्थापित करने के लिए राष्ट्रव्यापी सॉयल हेल्थ कार्ड योजना प्रारंभ की है जो तीन वर्ष की अवधि में एक बार 14करोड़ जोतों को कवर करेगी। इसी सिलसिले में कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने सॉयल हेल्थ कार्ड की जानकारी देने वाले एक पोर्टल सहित कृषि क्षेत्र से संबंधित दो अन्य पोर्टल भी शुरू किये हैं।