(अजमल कसाब) |
नई दिल्ली: याकूब मैनन को फांसी दिये जाने का काम बाबू जल्लाद के द्वारा किया गया।मूल रूप से महाराष्ट्र पुलिस का कांस्टेविल है,सुरक्षात्मक कारणों से उसका असली नाम छुपाया हुआ है।मुम्बई हमले के दोषियों में से एक मात्र जीवित पकडे गये अजमल कसाब को भी उसी के द्वारा फांसी पर लटकाया गया
था। कसाब की सजा को अंजाम दिये जाने के लिये उसे पांच हजार रुपये मेहनताने के रूप में दिये गये थे जबकि मेमन के मामले अभी आधिकारिक रूप से दी गयी राशि स्पष्ट नहीं हो सकी है।
था। कसाब की सजा को अंजाम दिये जाने के लिये उसे पांच हजार रुपये मेहनताने के रूप में दिये गये थे जबकि मेमन के मामले अभी आधिकारिक रूप से दी गयी राशि स्पष्ट नहीं हो सकी है।
(याकूब मैमन पुलिस के घेरे में) |
बाबू फांसी की सजा दिया जाना तय मानकर एक सप्ताह पूर्व जेल प्रशासन के द्वारा पुणे बुलवाया गया था। जहां उसने याकूब के आकार और बजन का पुतला बनवाकर तीन बार फांसी दिये जाने का रिहर्सल किया था।फांसी की सजा को अंजाम दे दिये जाने से जहां भारतीय न्याय व्यवस्था को नयी मजबूती मिली है,वहीं आतंकवादियों के हौसले कमजोर पडे हैं। हालाकि फोंसी की सजा को लेकर जिस प्रकार एक लम्बी प्रक्रिया चली उसी प्रकार उसके क्रियान्वयन को लेकर शुरू हो चुकी बहस अभी कुछ समय और जारी रहने की संभावना हैा