24 जून 2015

‘हाथी’ उतरेगा यू पी के त्रि‍स्तरीय पंचायत चुनाव में

--बोट बैंक की राजनीति‍ में ओबैसी की ‘एआईएमआईएम’ भाजपा से भी बडी चुनौती

(मुस्‍लि‍म वोट बैंक के शुरू हो चुके  खेल को लेकर हैदराबादी उबैसी
  की यू पी पर नजर को लेकर बसपा भी है शंकालू)
आगरा:प्रदेश में होने जा रहे त्रि‍स्‍तरीय पंचायत चुनावों को बसपा अपने चुनाव चि‍न्‍ह के आधार पर लडेगी।इस सम्‍बन्‍ध में पार्टी के द्वारा आधि‍कारि‍क रूप से जानकारी देने में हो सकता है कुछ सप्‍ताह और लग जाये कि‍न्‍तु उत्‍तर प्रदेश में अपनी  बि‍खरी ताकत को एकजुट रखने के लि‍ये पार्टी नेतृत्‍व को मि‍ले फीडबैक के अनुसार संगठन के अधि‍कांश लोग यही मानते हें।वि‍धायकों में से जि‍नकी स्‍थि‍ति‍ जरा सी भी मजबूत है और टि‍कट के बरकरा रखे जाने का आश्‍वासन मि‍ला हुआ है व
ही जरूर जरा कुछ संकोच में हैं।उन्‍हे शंका है कि‍ कही चुनाव परि‍णाम नकारात्‍मक रहने पर उनका टि‍कट ही नहीं कट जाये।

वैसे भाजपा और कांग्रेस के द्वारा बसपा के दलि‍त बोट बैंक पर चल रही 'झपट्टा मार' पार्टी को बेचैन रखने को पर्याप्‍त कारण है। दक्षि‍ण भारतीय नेता अध्‍यक्ष असुदुद्दीन ओबैसी की पार्टी आल इंडि‍या मजलि‍स ए इत्‍तेहादुल मुस्‍लि‍मीन (एआईएमआईएम) की सरगर्मि‍यों को लेकर भी बसपा बेहद असमंजस में है। इस पर्टी के नेताओं की उ प्र की राजनीति‍ में दि‍लचस्‍पी लगातार बढ रही है। पार्टी स्‍थानीय नि‍कायों व त्रि‍स्‍तरीय पंचायत के चुनाव से यूपी की रजनीति‍ में अपने दखल और मुस्‍लि‍म  वोटों पर मौजूदा जकड को मजबूत करने का खेल तेज कर सकती है।
वैसे बसपा त्रि‍स्‍तरीय पंचायत चुनाव के माध्‍यम से  विधानसभा चुनावों के पहले अपने संगठन की खामियों को पहचानने तक ही अपने को सीमि‍त कि‍ये हुए है।
सुश्री  मायावती ने पिछले दिनों राजधानी मे लगातार बैठकें कर संगठन को फिर से नई मजबूती देने का प्रयास किया है। पार्टी की रणनीति यही तय की गई है कि बसपा पंचायत अध्यक्षों का चुनाव अपने सिम्बल पर लडे और अपनी ताकत का अंदाज लगाए। इससे संगठन की खामियों की जानकारी होगी और विधानसभा से पहले संगठन को चुस्तदुरूस्त करने के लिए काफी समय मिल जाएगा।