3 जून 2015

फ्लड प्ले‍न के नाम पर हुई तोड फोड से भडके नागरि‍कों के नि‍शाने पर अब अधि‍कारी

--जनप्रति‍नि‍धि‍यों के ठंडे पन से अब लोकायुक्‍त के समक्ष उठायेंगे मामला

(फ्लड प्‍लेन में बने  मकानों पर ढहाने
 का बना हुआ  है सि‍लसि‍ला )
आगरा,समाजवादी पार्टी की सरकार भले ही गरीब आदमि‍यों को मकान नहीं दे सके कि‍न्‍तु अवैध नि‍ र्माणों को जरूर ढाहने का काम चालू रखे हुए है।दि‍लचस्‍प तथ्‍य यह है कि‍ कालोनि‍यों को बसाने वाले तो दोषी माने गये हैं कि‍न्‍तु इनको बनाये जाने की प्रक्रि‍या में संलि‍प्‍त  एक भी सरकारी अधि‍कारी तो दूर कर्मचारी तक सरकार की नजर में दोषी नही है।
परि‍णाम स्‍वरूप  अवैध नि‍र्माणों को लेकर शुरू हुई तोडफोड से भडके जनाक्रोष का अब सीधा लक्ष्‍य आगरा वि‍कास प्राधि‍कारण के अधि‍कारी बनने लगे हैं। जि‍नके कार्यकालों में ये अवैध नि‍र्माण हुए। उन अधि‍कारि‍यों के खि‍लाफ कर्रवाही का
मामला लोकायुक्‍त के समक्ष उठाये जाने की तैयारी है।जबकि‍ पूर्व में जनप्रति‍नि‍धि‍यों के माध्‍यम से इस मामले को उठवाने की कोशि‍श की गयी कि‍न्‍तु कि‍न्‍तु ज्‍यादातर ने अपने हाथ खडे कर प्रभावि‍त पक्षों से कहा है कि‍ वह अपनी लडाई स्‍वयं लडें वह तो केवल सहयोग ही दे सकते हैं।सबसे अधि‍क परेशान मं गौरी टाउनशि‍प पीडि‍त हैं जि‍नके मकानों को यमुना नदी के रि‍वर फ्लड जोन में आने के कारण एक सि‍रे से अवैध करार दे दि‍या गया है।
   इस कॉलोनी के लोग पहले जनप्रति‍नि‍धयों से मि‍ले कि‍न्‍तु बात नहीं बनी फि‍र मंडलायुक्‍त को ज्ञापन के माध्‍यम से अपनी बात कहने बुद्धवार को मंडलायुक्‍त प्रदीप भटनागर के पास पहुंचे कि‍न्‍तु वह भी उन्‍हे नहीं मि‍ल सके। हां उनकी बात कमि‍श्‍नर के यहां तैनात एसीएम चतुर्थ ने जरूर सुनी और अश्‍वस्‍त कि‍या कि‍ वह शासन को जानकारी दे देंगे।अगर कोई राहत मि‍लती है तो वहीं से संभव हो सकेगी।
  इन पीउि‍तों का कहना है कि‍ उनके मकान तो यमुना नदी की धारा से तीन सौ मीटर दूर होने के बावजूद तोडे जा रहे हैं जबकि‍ जबकि दर्जनों कालोनियां और मल्टीस्टोरी आगरा महानगर सीमा में आने वाले भाग में ही हैंयमुना किनारे खडी हुई हैं।लेकि‍न प्रशासन और आगरा वि‍कास प्राधि‍करण द्वारा तोडना तो दूर उनकी चर्चा चलाये जाने पर सुनने तक से इंकार कर दि‍या जाता है।

 वैसे यह तो हुई यमुना नदी के डूब क्षेत्र की बात कि‍न्‍तु वैसे  शहर में एडीए 234 कालोनियों को अवैध घोषित कर चुका है। इसमें से 63 कालोनियां ऐसी हैं, जिनको वैध नहीं किया जा सकता। 54 कालोनियों को वैध करने के लिए काफी पहले ही कवायद शुरू हो चुकी है। ये अधि‍कांशत: प्रभावशाली बि‍ल्‍डरों की हैं और इनके लि‍ये पि‍छले कुछ महीनो से इसके लि‍ये लाबि‍ंग का काम जारी कि‍या हुआ है।