19 मई 2015

ताज नगरी के ऐतिहासिक पालीवाल पार्क को अधि‍क ईको फ्रेंडली बनाने की कोशि‍शें

-- मि‍ट्टी के घोंसलों के बाद पखेरुओं को अब मि‍नी पौंड भी

(पक्षि‍यों की ग्रीष्‍म कालीन जरूरत को पूरा करने के लि‍ये
र श्री प्रदीप खंडेलवाल करवा रहे हैं 'मि‍नी पैंड ' की व्‍यवस्‍था।)
(मि‍ट्टी के घोंसले कोयल को
भी आने लगे हैं पसंद)
आगरा,पालीवाल पार्क में सक्रि‍य ईको क्लब बागवानी पालीवाल पार्क मार्नि‍ग वाकरों के समान ही उन लोकल माईग्रटरी बर्ल्ड् को लेकर भी सक्रि‍य है जो कि‍ अब तक अपनी मौजूदगी स्व्भावि‍क सामान्य  मानकर नजरअंदाज की जाती रही थीं।अब तक पालीवाल पार्क में मौजूद वन्यवजीवों का कोई आधि‍कारि‍क रि‍कार्ड नहीं है कि‍न्तुा अगर वाकायदा गणना और वर्गीकरण का काम वन वि‍भाग की वन्यनजीव गणना की तर्ज पर कि‍या जाये तो 20 से अधि‍क प्रजाति‍यों का यहां स्थाभयी डेरा मि‍लेगा जबइतनी का ही आपास के क्षेत्रों से आन जाना रहता है। जब पार्क में बाल उद्यान झील बनी हे तब से शीतकाल में अपने मूल स्था्नों  को छोड करआने वाले पि‍रंदों के भी कई जोडे यहां पसर जाते हैं और कुछ दि‍न वि‍श्राम करके ही प्रस्थाोन करते हैं। पालीवाल पार्क को मूल रुप से आगरा नहर के सि‍कन्दरा रजवाह पानी से सींचे जाने की
व्यवस्था  थी।बजीरपुररा होकर नहरी गूल से पानी यहां तक पहुंचता था। अब ट्यूब वैल से पौंडि‍ग होती है।बि‍जली कनैक्श न कटा होने पर इसमें भी मुश्किट‍ल आ जाती है। हाल में जब झील सूख गयी थी तब यहांरहने वाली बत्तशखों को सुरक्षि‍त रखने को एक रैस्यूे    सेंटर को भेजना पडा था।मार्निंग वाकर एवं समाज सेवी  के सी जैन की इसमें सक्रि‍य भूमि‍का ही थी।
 ईको क्लवब बागवानी के अध्य क्ष प्रदीप खंडेलवाल का कहना है कि‍ नागरि‍कों के छोटे छोट प्रयासों से ही पार्क अब पहले की अपेक्षा अधि‍क जीवंत हो गया है।पक्षि‍यों की जरूरत को पूरा करने के लि‍ये यहां अधि‍क अनुकूल स्थिध‍ति‍यां उत्प‍न्नर की जा रही है।बाथ टब को पक्षि‍यों की जरूरत पूरी करने वाले पौंड के रूप में उपलब्धथ करवा दि‍या गया है।सामाजि‍क संस्थाक लोकस्वंरके श्री राजीव गुप्ता  मि‍ट्टी के कई घोंसले पार्क के पेडों पर लगवा चुके हैं। कुछ और भी लगवाने को तैयार है।मूल रूप से गौरय्याप्रेमी श्री गुप्ताै के घोंसलों को गौरय्याओं ने तो पंसद कि‍या ही है कि‍न्तुप कोयल सरीखे अति‍संवेदनशल पक्षि‍यों के जोडों के द्वारा भी इनका उपयोग ब तब आशि‍याने के रूप में होते देखा गया है।

जो भी हो आने वाले वक्तम मे पार्क की भूतलीय बनावट और हि‍रयाली के परि‍प्रेक्ष्यक में वाइल्ड रनेस बचे या नहीं कि‍न्तु‍ पक्षि‍यों की स्वटच्छंनदता जरूर संरक्षि‍त रहेगी। ईको क्ल ब पालीवाल पार्क के श्री अनि‍ल शर्मा का कहना है कि‍ वाइल्ड रनेस और नेचुरल लैंड स्कैयपि‍ग कंसैप्टक पर इंग्लिस‍श हार्टीकल्चंरि‍स्टक मि‍ ग्रीसन के द्वारा कि‍ये गये कार्य को समझना चाहि‍ये ।जो पार्क की मौलि‍कता है।सि‍टी पार्क के रूप में वि‍कसि‍त यह पार्क तमाम दखलो और उपेक्षाओं के बावजूद उत्त‍र प्रदेश के सबसे बढि‍या माने जा सकने वाले सि‍टी फारैस्टों  में दूसरे या तीसरे नमबर पर माना जाता है।