--नये राजा यदुवीर, स्वर्गीय महाराजा की बड़ी बहन के पोते हैं
-- स्वर्गीय श्रीकांतदत्ता
नरसिम्हराजा वोडेयार, के बड़े भतीजे
कंठराज उर्स ने दायर कर रखी है याचिका
(म्ेस्ॅश्र क्भ् म्ळज्ञश्रज्ञन्भ् (राजमाता ) प्रमोदा देवी और राजा यदुवीर)
नई दिल्ली: रियासतें खत्म
हुयीं ,नई दिल्ली: प्रवीपर्स समाप्त हुए किन्तु रजवाडों के राजाओं का जनता के
बीच बना हुआ आकर्षण अब भी बना हुआ है।गत दिवस देश की कभी प्रमुख रियासत रही
मैसूर रियासत का प्रतीक रही गद्दी पर 27वें उपाधिधारी के रूप में यदुवीर राज्याभिषेक
हुआ।22 साल के नये राजा
बोस्टन विश्विविद्यालय से स्नातक हैं। राज्यभिषेक कार्यक्रम में शामिल
होने के लिये देश-विदेश के शाही घरानों से लोग आए थे।यही नहीं एक दम निजी श्रेणी का कार्यक्रम होने के बावजूद कर्नाटक के मंत्रियों सहित कई राजनीतिज्ञ
भी इसमें शरीक हुए। यह बात अलग है कि राजतिलक
से राज्य को राजा भले ही मिल गया हो किन्तु राजपरिवार की दस हजार करोड की परिसंपत्तियों बंटने का खतरा यथा वत बना हुआ है। यही नहीं राजपरिवार में बनी चल रही शीत युद्ध की सी स्थिति और गहरागय है।
से राज्य को राजा भले ही मिल गया हो किन्तु राजपरिवार की दस हजार करोड की परिसंपत्तियों बंटने का खतरा यथा वत बना हुआ है। यही नहीं राजपरिवार में बनी चल रही शीत युद्ध की सी स्थिति और गहरागय है।
राजघराने के प्रवक्ता के द्वारा
जारी की गयी राजसी अधिसूचना के अनुसार 22 वर्षीय राजकुमार का राज्याभिषेक महल के दरबार कक्ष में
माता-पिता, रिश्तेदारों, विशेष अतिथियों और रानी प्रमोदा
देवी की मौजूदगी में संपन्न हुआ। यदुवीर को रानी प्रमोदा देवी ने 23 फरवरी, 2015 को गोद लिया था।
यदुवीर का राज तिलक जरूर हो गया
है किन्तु मैसूर का शाही घराना रियासत के स्वामित्व के लिए एक कानूनी लड़ाई भी
लड़ रहा है। मामले पर कानूनी फैसला नये राजा के भविष्य के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण
है। इसी वंश ने
मैसूर राज्य पर 1339 से 1950 तक शासन किया था।
राज्याभिषेक के बाद यदुवीर को एक सजे हुए शाही हाथी बलराम पर बैठाकर पूरे महल में घुमाया गया। मैसूर के नए राजा के तौर पर उन्होंने लोगों को महल की बालकनी से दर्शन दिए। श्रीकांत नरसिंह्मराज वाडेयार इस राजघराने के अंतिम वंशज थे जिन्हें राजवंश के अंतिम शासन के दौरान राजकुमार के रूप में मान्यता मिली थी क्योंकि आजादी के बाद देश में राजघरानों की समाप्ति हो गई।
राज्याभिषेक के बाद यदुवीर को एक सजे हुए शाही हाथी बलराम पर बैठाकर पूरे महल में घुमाया गया। मैसूर के नए राजा के तौर पर उन्होंने लोगों को महल की बालकनी से दर्शन दिए। श्रीकांत नरसिंह्मराज वाडेयार इस राजघराने के अंतिम वंशज थे जिन्हें राजवंश के अंतिम शासन के दौरान राजकुमार के रूप में मान्यता मिली थी क्योंकि आजादी के बाद देश में राजघरानों की समाप्ति हो गई।
कानूनी विवाद
उधर, बेंगलुरु की एक अदालत मैसूर के महाराजा, स्वर्गीय श्रीकांतदत्ता
नरसिम्हराजा वोडेयार, के बड़े भतीजे कंठराज उर्स की याचिका पर सुनवाई करेगा। स्वर्गीय महाराजा की
पत्नी, महारानी प्रमोदा देवी ने यदुवीर
को गोद लिया। उनकी अपनी कोई संतान नहीं थी। स्वर्गीय महाराजा की मृत्यु 8 दिसंबर,2013 को हो गई थी। वह 60 साल के थे। यदुवीर, स्वर्गीय महाराजा की बड़ी बहन
के पोते हैं।
उधर, कंठराज उर्स का कहना है कि सारी
संपत्ति को परिवार के बीच बराबरी से बांट दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि उन्हें
उम्मीद थी कि महारानी उन्हें ही वारिस के तौर पर राज्य का अगला राजा घोषित करेंगी।
लेकिन ऐसा नहीं होने पर उन्हें निराशा हुई है।महारानी प्रमोदा देवी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि संतानविहीन राजदंपत्तियों के मामले में कोई बंधा-बंधाया नियम नहीं है। ऐसा कोई नियम नहीं है जो यह कहता हो कि ऐसे मामलों में राजा के भाई की संतान ही गद्दी पर बैठेगी। उन्होंने कहा कि वह जानती हैं कि स्वर्गीय महाराजा श्रीकांतदत्ता अपने वारिस से कैसी उम्मीद रखते थे। महारानी ने कहा कि वह जानती हैं कि राजपरिवार के परंपरा और थाती को संभालने औऱ उसकी रक्षा करने के लिए शाही वारिस में किस तरह के गुण होने चाहिए।
उनका कहना है कि इन सब पक्षों के बारे में सोचकर ही उन्होंने फैसला लिया है। विवाद की जड शाही परिवार के पास दस हजार करोड़ रुपये से भी अधिक संपत्ति और सम्मान सूचक राजसी परंपरायें हैं।