18 अप्रैल 2015

यमुना नदी ‘पौल्यूशन’ में फि‍र टॉप पर

--हि‍डन नदी का सहारनपुर से गाजि‍याबाद तक का भाग भी तरस रहा है घुलनशील आक्‍सीजन को

(यमुना नदी:बदहाली से छुटकारा नहीं)
आगरा,यमुना नदी के प्रदूषण और उसके अधाधुंध जलदोहन की अवैध कारि‍स्‍तानि‍यों की ओर सरकारी एजेंसि‍यों सहि‍त जनसाधारण का ध्‍यान आकर्षि‍त करने के लि‍ये जहां एक ओर ‘यमुना यात्रा’ और ‘यमुना आरती’ नुमा जनसहभागी प्रयास हो रहे हैं वहीं नदी का अस्‍ति‍व अत्‍यंत गंभीर दौर में पहुंच चुका है।यह रि‍पोर्ट और कि‍सी की नहीं उस केन्‍द्रीय प्रदूषण नि‍यंत्रण बोर्ड की है जि‍सके अनुमोदन और संस्‍तुति‍यों पर नदी के पूर्व स्‍वरूप बहाली
के लि‍ये अरबों रुपये की योजनाओं को भारत सरकार और हरि‍याण,दि‍ल्‍ली और उ प्र सरकारें अंजाम देती रही हैं।इन सभी राज्‍यों के नदी तटीय जनपदो में राज्‍य सरकारों के प्रदूषण नि‍यंत्रण बोर्डों के क्षेत्रीय कार्यालय हैं।पौल्‍यूशन कंट्रोल बोर्ड की ताजा अध्‍ययन रि‍पोट्र में कहा गया है कि‍ यमुना नदी का पनी सीवर जल की समतुल्‍य स्‍थि‍ति‍यों को पहुंच चुका है और मानवउपयोग के अनुकूल नहीं रहा है।प्रदूषण नि‍यंत्रण बोर्ड के चेयरमैन शशि‍ शेखर जो कि‍ पर्यावरण मंत्रालय के वि‍शेष सचि‍व भी हैं,ने कहा है कि‍ यमुना सहि‍त देश की अधि‍कांश नदि‍यों के दुर्दशा में पहुंचने का कारण उनमें बहकर पहुंचने वाले अनट्रीटेड वाटर की बढती जा रही मात्रा है।
(हि‍ंडन नदी :लगभग मरणासन्‍न)
वि‍शेष सचि‍व की रि‍पोर्ट के अनुसार उनके पास देश की 290नदि‍यों के आंकडे हैं।इनमें नदि‍यों के जि‍न भागों का अध्‍यान करावाया गया था उनमें से 66 प्रति‍शत में आर्गेनि‍क प्रदूषण की मात्रा अत्‍यधि‍क ही नहीं इतनी अधि‍क पायी गयी जि‍सके कारण घुलनशील आक्‍सीजन की मात्रा नाम मात्र की ही बची है जि‍समें ‍ जलचरों का जीवन चक्र के सुरक्षि‍त गति‍मान रहना लगभग नामुमकि‍न है।यही नहीं इसके कारण नदी तटीय जैवि‍क वि‍वि‍धता वाली प्राक,ति‍क वि‍रासत नष्‍ट प्राय हो गयी है।
यमुना नदी के सामन ही उसकी सहयाक नदी हि‍डन भी बीमारी के मामले में देश की सबसे अधि‍क पीडि‍त नदि‍यों की श्रेणी में है, इसके सहारनपुर से गाजि‍याबाद के बीच के भाग का जल लगभग पूरी तरह से अनुपयोगी है।इस नदी के अलावा अन्‍य बीमार नदी मुम्‍बई की मीठी नदी है जो कि‍ घुलनशील आक्‍सीजन के मामले में शून्‍य हो चुकी है।
रि‍पोर्ट के अनुसार भारत में नदी प्रदूषण के बढते रहने का सबसे बडा कारण स्‍थानीय नि‍कायों के द्वारा अपनी गंदे पानी और सीवर उत्‍प्रवाह के शोधान की कोई समुचि‍त व्‍यवस्‍था नहीं होना है।भारत में वि‍श्‍व की आबादी के सापेक्ष पांच प्रति‍शत आबादी है,जबकि‍ ताजे पनी के स्‍त्रोत केवल 2प्रति‍शत ही।वहीं जहां स्‍त्रोत तो बढे नहीं हैं जबकि‍ आबादी की नदि‍यों पर नि‍र्भता लगातार बढती ही जा रही है।